हे हरि सुन्दर, हे हरि सुन्दर
हे हरि सुन्दर, हे हरि सुन्दर

तेरे चरण पर सिर नमो!

हे हरि सुन्दर, हे हरि सुन्दर

वनों वनों में श्यामल श्यामल;

गिरि गिरि में उन्नत उन्नत;

सरिता सरिता चंचल चंचल;

सागर सागर गंभीर, हे हरि!

हे हरि सुन्दर, हे हरि सुन्दर

तेरे चरण पर सिर नमो! 

हे हरि सुन्दर, हे हरि सुन्दर

सेवक जन के सेवा सेवा कर;

प्रेमिक जन के प्रेम प्रेम कर

दुःखी जनों के हरि वेदन वेदन;

योगी जनों के आनंद,हे हरि!

हे हरि सुन्दर, हे हरि सुन्दर

तेरे चरण पर सिर नमो!

- श्री गुरु नानक देव जी।