ध्यान बिना तुम तो मन
ध्यान बिना तुम तो मन, 

तितर-बितर हो जाते हो।

प्रियतम प्रभु को, 

गुप्त रहकर अब खोजो।

उड़ आनन्द झोंकों पर,

बैठ आकाश-रथ पर -

नयनों में उनके देखों,

दृष्टि एकाग्र कर।

सहस्त्र दल के अमृत को, 

पीते जाओ तुम पीते जाओ

महान वैश्विक ऊँ के साथ;

डूबते जाओ तुम डूबते जाओ।।


- श्री श्री परमहंस योगानंद जी।