आत्मा की पुकार
माँ, तुझे दी मैनें आत्मा, आत्मा, आत्मा की पुकार; तुम अब ना छुप सकोगी और । मेरी माँ को दो आत्मा, आत्मा, आत्मा की पुकार; वह अब छुप न सकेगी और । आओ मौन गगन से तुम, आओ शैल घाटी से तुम । आओ गुप्त आत्मा से मेरी; आओ शून्य गुफा से मेरी । - श्री श्री परमहंस योगानंद जी।