गुरु तेरे चरण बलिहारी
गुरु तेरे चरण बलिहारी, मैं आयी हूँ शरण तिहारी, तुम ही राखो लाज हमारी, गुरु तेरे चरण बलिहारी। भव सागर में मेरी नैया, न है कोई पार लगैया, एक तुम ही हो मेरे खिवैया, तारो नैय्या हमारी, गुरु तेरे चरण बलिहारी। तुम हो अथाह प्रेम के सागर, अवगुण मेरे सब बिसरा कर, ज्ञान ध्यान का दीप जला कर, राह करो उजियारी, गुरु तेरे चरण बलिहारी। बार बार शीश नवाऊं, हर पल तेरे ही गुण गाउँ, तेरी कृपा से ही हरि को पाऊँ, जन्म जन्म मैं वारी, गुरु तेरे चरण बलिहारी। - योगदन्स ।