देखो मेरे गुरूदेव की अँखियाँ
देखो मेरे गुरूदेव की अँखियाँ, करती हैं मुझसे कैसे ये बतिया। जब मै बालक बन के देखूँ , ममता बरसाएं ये अँखियाँ, करुणामयी हैं ये प्यारी अँखियाँ। नियमों का जब कर के उल्लंघन, देखूँ मैं गुरुदेव की अँखियाँ, डांट पिलाती हैं मुझको ये अँखियाँ। जब मैं साधक बन के देखूँ, किरपा की वर्षा करती हैं अँखियाँ, तन मन निर्मल करती हैं अँखियाँ। जब मैं राधा बन के देखूँ, कृष्ण का रूप धरे ये अँखियाँ, प्रेम का रास रचाती हैं अँखियाँ। - योगदन्स ।