रोक ना पाये कोई मुझे, ना मार सके मुझे
रोक ना पाये कोई मुझे, ना मार सके मुझे। ये विश्व ही हट जाये और दे दे राह मुझे। मैं हूँ प्रचण्ड मर्तण्ड, हो जाये तिमिर का अन्त। सुन ले ओ सागर, खोल दे मेरा मार्ग वर्ना जलभून कर, तू हो जायेगा राख। रोक ना पाये कोई मुझे, ना मार सके मुझे। सावधान ऐ शैलराज, रोक ना मेरा मार्ग। तोड़ तेरी पसलियाँ, बिखेर दुँ मैं आज। दोस्तों हितेषियों, बातें है बेकार। मानो मेरी आज्ञा, करो काल का संहार। रोक ना पाये कोई मुझे, ना मार सके मुझे। तुफान की करूँ सवारी, आँधी पर आरूढ़ । दामिनी बन्दुक मेरी, निशाना अचूक। मैं हूँ शिकारी, सब है मेरा शिकार। तरूवर पर्वत, धरती पारावार। रोक ना पाये कोई मुझे, ना मार सके मुझे। भाग्य और देवों से, हाँकू अपना रथ। मेघ गर्जन से, उद्घोष करूँ सर्वत्र । हवाओं रणघोष करो, मुक्त बजो रणभेरियों। ओम मुक्ति, ओम मुक्ति, ओम मुक्ति, ओम मुक्ति, ओम। - स्वामी रामर्तीथ जी ।