नैया लगा दो पार
नैया लगा दो पार, नैया लगा दो भव पार, पार मेरे सतगुरु। तुम बिन मेरो और न कोई, देखा है नज़र पसार। संग के साथी पार उतर गए, मैं ही रहा हूँ मंझधार। भव सागर में डूब रहा हूँ, तुम ही हो मेरे खेवनहार। मीरा के प्रभु कबरे मिलोगे, चरण कमल मैं बलिहार। - मीरा बाई जी ।