गुरु आगे करूँ अरदास
गुरु आगे करूँ अरदास,

श्रद्धा प्रेम न टूटे विश्वास,

कर दो पूरी मेरी एक आस,

तव चरणों मे पा जाऊँ निर्वाण।


गुरु गुरु जप ले मन मेरे,

गुरु बिन कौन भव से तरे,

पाप ताप संताप सब हरे,

पावन चरण कमल भज ले।


गुरु मांगे तो शीश भी दे,

तन मन अपना वार दे,

तू सचमुच ऐसा बन,

गुरु कहे तो विष भी ले।


सच्चा कहिए वह गुरु पीर,

विवेक कराए नीर क्षीर,

नर से बनाये नारायण,

हर ले तेरी सब ही पीर।


तरे लोहा पारस के संग,

गुरु चढ़ाय नाम का रंग,

मोह का पर्दा कर दें भंग,

गंगा में ज्यूँ समाय तरंग।

- योगदन्स ।