साँवरे घनश्याम तुम तो प्रेम के अवतार हो
साँवरे घनश्याम तुम तो प्रेम के अवतार हो, संकटो में फँस रहा हूँ, तुम ही खेवन्हार हो। चल रही आँधी भयानक, भँवर में नय्या पड़ी है। थाम लो पतवार, तब तो बेड़ा पार हो। आपका दर्शन मुझे, इस छवि में बारंबार हो। हाथ में मुरली मुकुट, सिर और गले में हार हो। डूबते गज के रुदन पर, दौड़ने वाले प्रभु। देखना निष्फल न मेरे, आँसुओं की धार हो। - योगदन्स ।