आनंद आनंद आनंद आनंद 
आनंद आनंद 

आनंद आनंद,

बहता हुआ 

बहकता हुआ, 

पंछी बन 

उड़ता ये मन ।

चीर के नभ को 

उड़ता हुआ,

लंबी उड़ाने 

भरता हुआ,

सूरज की किरणों सा 

फैले ये मन ।


वर्षा की बूँदो सा 

झरता हुआ, 

मछली की तरह 

थिरकता हुआ,

सागर की लहरों 

पे नाचे ये मन ।


बादल की तरह 

उड़ता हुआ, 

चंदा हो जैसे 

चमकता हुआ, 

प्रेम लुटाता 

निश्छल ये मन।


हज़ारों फूलों सा 

खिलता हुआ,

भीनी सुगन्धी से 

महका हुआ,

कण कण परागों 

के बांटे ये मन।


चिड़ियों के कलरव 

सा गाता हुआ,

तितली की तरह 

इठलाता हुआ,

भंवरों की गुंजन सा 

गूंजे ये मन।


मधुरिम मधुरिम 

मुस्काता हुआ,

ठंडी बयारों सा 

बहता हुआ,

बहारों के पंखों पे 

नाचे ये मन।

- योगदन्स ।