कृष्ण तुम्हारी मधुवन सी काया
कृष्ण तुम्हारी मधुवन सी काया,
तुम हो शीतल जैसे तरुवर की छाया।
 
    जब लहराए भीगी लताएं,
         लागे जैसे तुमने केशों को लहराया।
 
     जब बहें सौंधी सौंधी,
      लागे जैसे तुमने अपने अंग लगाया।
 
     जब वन अपनी गूंज सुनाए,

   लागे जैसे तुमने अपने पास बुलाया।
 
- योगदन्स ।