शाख से टूटा हुआ इक पत्ता
शाख से टूटा हुआ इक पत्ता, अदना सा इक पत्ता, लौ में अपनी धुन में अपनी, बहता चला, बहता चला । पाने दो इसको दिशा अपनी ही, पाने दो इसको गति अपनी ही, न रोको न पकड़ो न बाँधओ इसे । ये पिंजरा तन का यहीं छूट गया, ये मन का बंधन यहीं टूट गया। - योगदन्स ।