शाख से टूटा हुआ इक पत्ता 
शाख से टूटा हुआ इक पत्ता,

अदना सा इक पत्ता,

लौ में अपनी धुन में अपनी,

बहता चला, 

बहता चला ।




पाने दो इसको 

दिशा अपनी ही,

पाने दो इसको 

गति अपनी ही,

न रोको न पकड़ो 

न बाँधओ इसे ।


ये पिंजरा तन का 

यहीं छूट गया,

ये मन का बंधन 

यहीं टूट गया।


- योगदन्स ।