कुछ भी कहने को बाकी न रहा
कुछ भी कहने को बाकी न रहा कुछ भी कहने को बाकी न रहा, कुछ भी पाने को बाकी न रहा, तेरे प्रेम ने यूँ मदहोश किया, खुद से ही मेरा परिचय न रहा। बेगाने हुए हैं हम ज़माने से, अपना अब कोई ठिकाना न रहा, तेरा नूर हम पर इस कदर बरसा, दरिया का न तल किनारा न रहा। पैमाने हज़ारों पीए सबने, तेरा नशा तो बढ़ता ही गया। - योगदन्स ।