कुछ भी कहने को बाकी न रहा
कुछ भी कहने को बाकी न रहा

कुछ भी कहने को बाकी न रहा,
कुछ भी पाने को बाकी न रहा,
तेरे प्रेम ने यूँ मदहोश किया,
खुद से ही मेरा परिचय न रहा।

बेगाने हुए हैं हम ज़माने से,
अपना अब कोई ठिकाना न रहा,
तेरा नूर हम पर इस कदर बरसा,
दरिया का न तल किनारा न रहा।

पैमाने हज़ारों पीए सबने,
तेरा नशा तो बढ़ता ही गया। 

- योगदन्स ।