नमामि शंकर नमामि शंकर
है तन पे भस्मी गले में विषधर,

नमामि शंकर नमामि शंकर




जटा से जिनके है गंग निकली,

बिराजे मस्तक पर चांद टिकुली,

सदा विचरते बने दिगम्बरनमामि शंकर ….




तुम्हारे मंदिर में नित्य गाउँ,

तुम्हारे महिमा के गीत गाउँ,

चढ़ाऊँ चंदन तुम्हे मैं घिस करनमामि शंकर ….




तुम्ही हमारे हो एक स्वामी,

कहाँ हो आओ त्रिलोक गामी,

हरो हमारी व्यथा को आकरनमामि शंकर ….




- योगदन्स