मैं न राधा मीरा
मैं न राधा मीरा, मैं हूँ तुम्हारी दासी, करूं प्रार्थना दिन राती, करूं विनती मैं दिन राती। मैं न मुकुट पीताम्बर, मैं चरणों की झांझर, पड़ी रहूं मैं चरण तिहारी। मैं न दीपक ज्योति, मैं मन्दिर की बाति, जलती रहूँ दिन राती। मैं न मुरली कलंगी, मैं वैजंती माल, लगी रहूँ मैं हृदय तिहारी। - योगदन्स ।