ये ज़मीं ओ ज़र किस काम का
ये ज़मीं ओ ज़र किस काम का, क्या है ये दौलत ए दो जहाँ, दर ओ दैर से हूं बे खबर, हूं मैं अपने रब से आशना। मैं तो इश्क़ से सरा बोर हूं, मुझे क्या पता मैं कौन हूँ। न ज़मीं से है न फलक से है, ये खुशी बस इक सबब से है, हुआ खुद से खुद न आशना, मुझे इश्क़ अपने रब से है। जो है ज़ीस्त की रानाइयाँ, तेरी रहमतों का कमाल है, ये जो नूर तारी जहाँ पे है, मेरे रब का रक्स-ए- जमाल है। मेरे रब तू इतना जान ले, तेरे सिवा मेरा कुछ नही मान ले, सर-ए- इश्क़ तेरे कुछ नहीं, पस-ए- इश्क़ तेरे कुछ नहीं, कुछ नहीं, कुछ नहीं, हाँ कुछ नहीं, मुझे दुनिया से क्या वास्ता, की रब से है मेरा राबता, रब से है मेरा राबता। - योगदन्स ।