ये ज़मीं ओ ज़र किस काम का
ये ज़मीं ओ ज़र किस काम का,
क्या है ये दौलत ए दो जहाँ,
दर ओ दैर से हूं बे खबर,
हूं मैं अपने रब से आशना।

मैं तो इश्क़ से सरा बोर हूं,
मुझे क्या पता मैं कौन हूँ।

न ज़मीं से है न फलक से है,
ये खुशी बस इक सबब से है,
हुआ खुद से खुद न आशना,
मुझे इश्क़ अपने रब से है।

जो है ज़ीस्त की रानाइयाँ,
तेरी रहमतों का कमाल है,
ये जो नूर तारी जहाँ पे है,
मेरे रब का रक्स-ए- जमाल है।

मेरे रब तू इतना जान ले,
तेरे सिवा मेरा कुछ नही मान ले,
सर-ए- इश्क़ तेरे कुछ नहीं,
पस-ए- इश्क़ तेरे कुछ नहीं,
कुछ नहीं, कुछ नहीं, हाँ कुछ नहीं,
मुझे दुनिया से क्या वास्ता,
की रब से है मेरा राबता,
रब से है मेरा राबता।
- योगदन्स ।