नींद से अब जाग बंदे
नींद से अब जाग बंदे, राम में अब मन रमा, निर्गुण से लाग बंदे, है वही परमात्मा । हो गयी है भोर कबसे, ज्ञान का सूरज उगा, जा रही हर सांस बिरथा, साईं सुमिरन में लगा । फिर न पायेगा तू अवसर, कर ले अपना तू भला, स्वप्न के बंधन के झूठे, मोह से मन को छुड़ा । धार ले सतनाम साथी, बंदगी कर ले ज़रा, नैन जो उल्टे कबीरा, साईं तो सम्मुख खड़ा। - कबीर दास जी ।