जगत जननी जगदम्बिके हे माँ
जगत जननी जगदम्बिके हे माँ,
मैं आठ प्रहर महिमा गाऊँ,
तेरे सुमिरन से सुख पाऊँ,
हे परम सुख दायी फल दायी, हे माँ ।।

                तू दिव्य ज्योति,
                  तू सुखकारक,
                  तू भक्त जनों, 
                   की उद्धारक,
                   भव सागर में,
                   सब की तारक,
                   तू स्वयं शक्ति, 
                   शक्ति धारक,
                   मैं दिवस रैन, 
            तुझको ध्याऊँ, हे माँ ।।

                   तू भवप्रीता,
                   आनंदमयी,
                    तू रण चंडी, 
                    तू कालजयी,
                    हर युग में, 
                    तेरे रूप कई,
                    हर पूजा में तू, 
                    लगे नई,हे माँ ।।

तू शिवदूती तू महामना,
दुर्जन पर तेरा बार चला,
सज्जन का तूने किया भला,
हर पल तेरा आशीष फला,
तुझ मैं रम कर मैं तर जाऊँ, हे माँ ।।

- योगदन्स।