अद्भुत है गुरु प्रेम में जीना
अद्भुत है गुरु प्रेम में जीना, कितना सुंदर है प्रभु प्रेम में जीना । प्रभु प्रेम की छटा निराली, भर दे जीवन में खुशहाली, प्रेम में डूबी हर एक वाणी, पत्ता गाये या हो प्राणी । मधुर हैं स्वर संगीत के, बाँसुरी बाजे भँवरा गाये, कभी न थमता ये रस पान, भोर हो या हो सांझ । प्रभु तुम्हारे अनुभव की, है ये रीत निराली, कोलाहल में भी भर दे, हृदय में अमृत वाणी। - योगदन्स ।