परमहंस योगानन्द
परमहंस योगानन्द, 
गुरु तुम हो, 
मात पिता तुम हो, 
मेरे सखा तुम हो,
मेरे प्रिये तुम ही हो।

                  रहते हो तुम हर,

                  पल मेरे मन में,

               हृदय में सभी इच्छाओं में, 
              
                तुम को पाकर मैंने जाना, 
           
               प्रभु प्रेम क्या है।
          
             ओ गुरुदेवा।

             मुझमें बसी, 

             मेरी कमियों को, 
         
             पल में सँवारओ,
             
             ओ गुरुदेवा ।

               चला जाऊँ उड़ के, 

                प्रभु मिलन को।

                 हमेशा हमेशा, 
             
              हमेशा हमेशा।

           ... योगदन्स