दुर्गे दुर्गे दुर्गति नाशिनी
दुर्गे दुर्गे दुर्गति नाशिनी, महिशासुर मर्दिनी जय माँ दुर्गे। देवी दुर्गे जगत जननी, तुम ही मंगल कारिणी। दस दिशा दस शस्त्र शालिनी, मधु कैटभ संघारिणी, अद्वितिया तुम ही अनंन्ना, भवानी माँ दुख हारिणी। शुम्भ निशुम्भ दानव दलिनी, भक्ति मुक्ति दायिनी, जग प्रशोभिनि माह जोगिनी, चण्डिके माँ शिवानी। - योगदन्स।