एक दिन मुझे प्रभु मिले थे
एक दिन मुझे प्रभु मिले थे।

नदी किनारे बंसी बजा रहे थे ।

ठंडी ठंडी पुरवैया थी,

पानी कल कल बहता था,

चहुं ओर सब पुष्प खिले थे,

कान्हा मुझको देख रहे थे।




बंसुरिया की धुन पे तो,

बादल भी घुमड़ रहे थे,

पंछी गुनगुना रहे थे,

कान्हा मंद मुस्का रहे थे।




मन मोहनी सूरत पर,

मोर भी रीझ रहे थे,

प्रेम सुधा बरसा कर,

कान्हा सब को भिगो रहे थे।


- योगदन्स ।